Wednesday, April 23, 2014

बोलें नमो-नमो
















बम-बम, बम-बम छोड़े वोटर
चढ़ा चुनावी रंग, -बोलें नमो-नमो।

काशी के वासी कैलाशी,
जन-जन में दिख रही उदासी।
गड्ढे-खंदक गले की फांसी,
गंग तीर भी रहे पिआसी।
हो गयी अब तो तंग, -बोलें नमो-नमो।

अब तक अगुआ जो भी आया,
इसके दर्द समझ ना पाया।
उचित दवाई कोई न लाया,
उल्टे उसमे ज़हर मिलाया।
घोर पिला दी भंग, -बोलें नमो-नमो।

है विकास की बात जो करता,
दुखियों के सिर हाथ जो धरता।
दुष्ट पडोसी से जो ना डरता,
आशा की किरणें जो भरता।
अब हो गए उसके संग, -बोलें नमो-नमो।  


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