Wednesday, April 23, 2014

बोलें नमो-नमो
















बम-बम, बम-बम छोड़े वोटर
चढ़ा चुनावी रंग, -बोलें नमो-नमो।

काशी के वासी कैलाशी,
जन-जन में दिख रही उदासी।
गड्ढे-खंदक गले की फांसी,
गंग तीर भी रहे पिआसी।
हो गयी अब तो तंग, -बोलें नमो-नमो।

अब तक अगुआ जो भी आया,
इसके दर्द समझ ना पाया।
उचित दवाई कोई न लाया,
उल्टे उसमे ज़हर मिलाया।
घोर पिला दी भंग, -बोलें नमो-नमो।

है विकास की बात जो करता,
दुखियों के सिर हाथ जो धरता।
दुष्ट पडोसी से जो ना डरता,
आशा की किरणें जो भरता।
अब हो गए उसके संग, -बोलें नमो-नमो।  


Monday, April 21, 2014

चुनावी दंगल 7










माइक के सम्मुख जाकर वे
अन्ट-सन्ट चिल्लाते हैं।
अपना दाग छिपाकर फिर
दूजे का खोल दिखाते हैं।
सड़क, गली, पुलिया, नाला
इन सबकी कसमें खाते हैं।
देते दुहाई फिर विकास की
वे वोटर को भरमाते हैं।

याद नहीं रहता उन सबको
वोटर ही उनका दाता है।
है उनकी कीमत कुछ भी ना
यह उनकी समझ न आता है।
गद्दी मिल जाती जब उनको
फिर वोटर नहीं दिखता है।
वे देते मनमानी से जो
यह वोटर वही तो पाता है।

Sunday, April 20, 2014

चुनावी दंगल 6























वोटर लिस्ट में नाम जो आया
मन में खुशियां बहुत हुई हैं।
वोटर कार्ड जो हाथ में आया
नागरिकता देश की पूरी हुई है.
आलस के बस बैठे रहे घर
सजगता तेरी अधूरी हुई है।
आलस छोड़ जो घर से निकसे
जिम्मेदारी पूरी तबहीं हुई है।

पास पड़ोसी को छोडो नहीं तुम
साथ में पोलिंग स्टेशन लाओ।
आना-कानी करै जो कोऊ जन
उसको तुम जिम्मेदारी बताओ।
कर्तव्य का बोध कराइ तबै फिरि
उम्मीदवार की फिर परख कराओ।
देश के हित में जो लागै तुम्हें जन
उसको फिरि संसद तक पहुँचाओ।  

Wednesday, April 16, 2014

चुनावी दंगल 5

कॉलबेल अचानक घनघनाई
बीवी हमारे ऊपर भनभनाई।
देखो-देखो कोई आया है
किसी ने तुम्हारा पता बताया है।
मैं बिना बोले ही उठ गया
दरवाजे से जाकर सट गया।
फिर मैंने दरवाजा खोल दिया
बाहर से किसी ने जिंदाबाद बोल दिया।
मेरी आँखें चकमका गयी
फिर पूरा यकीन दिला गयी
सामने वही नेता जी खड़े थे
जिनकी मूछों के बाल थोड़ा बढे थे
देखने में रावण के खानदानी हैं
लेकिन आज बिल्लकुल पानी-पानी हैं.
मुस्कराहट चार इंच बढ़ गयी है
सियासत आज सिर चढ़ गयी है।
उनके चन्टे-बंटों ने पर्चा आगे बढ़ाया
और जोर देकर चुनाव निशान दिखाया।
अब आपका वोट बहुत जरूरी है
बाकी सब तैयारी तो पूरी है।
तैयारी सुन मैं कुछ चकरा गया
नेताजी का काफिला आगे चला गया।
पिछले चुनाव में भी जुगति लगायी थी
उसी से अपनी सीट हथियाई थी।
तब तो कोई आह सुनाई न दी थी
किसी की लाचारी दिखाई न दी थी।
पांच साल पलक झपकते बीत गए
इन दंगों में न जाने कितनो के मीत गए.
तब इनको वोटर नज़र न आया था
मानो बन्दर ने उस्तरा पाया था।
आज फिर वोटर को भगवान बताते हैं
उसके चरणों में सीज़न भर लोट लगाते हैं।  

Tuesday, April 15, 2014

चुनावी दंगल 4

छिड़ी सियासी जंग, हो गयी ताधिन धिन्ना।
आपस में सब तंग, हो गयी ताधिन धिन्ना।

नेता जी मोदी पर चिल्लावैं,
गोधरा कै कारण वो बतलावैं।
आपन मैल नजरि ना आवै ,
दुसरे का  वो मैल   दिखावै।
बदलें छिन-छिन रंग, हो गयी ताधिन धिन्ना।

बहन जी हाथी दौराइ रही हैं,
दिन मा खेत चराइ  रही हैं।
सबका हितैषी बताइ रही हैं,
फिरि लॉलीपॉप देखाइ रही हैं.
यहु उनका अजब है ढंग,हो गयी ताधिन धिन्ना।

बहिन तौ भाई का समझावै ,
नोंक -झोंक, तकरार बढ़ावै।
नोंचि -नोंचि नाखून घिसावै,
फिरहुूँ जिउ में चैन न आवै।
यह भइया कैसी जंग, हो गयी ताधिन धिन्ना।







  

Monday, April 14, 2014

।।जय-जय श्री हनुमान।।

















वानर कुल में जन्म लियो तुम,
केशरि के तब  भाग्य सँवारे।
बाल समय फल रूप समझिकै,
दिनकर को तुम मुख  में धारे।
कौतुक  में ही  हे प्रभु  आपने ,
दुष्टन के   फिरि  सीस   उपारे।
सिय की खोज में   हे महावीर ,
बहुतन पै किरपा तुम करि डारे।   

Thursday, April 10, 2014

अच्छी हो सरकार

वोट करौ भाई सबै, सबका यहु अधिकार।
नेता नीकै जो मिलै,   अच्छी  हो सरकार।

मीठी बातन से बचौ,   नेता  जो  चिल्लाय।
सपना उन्नति का सुनौ,तुमका रहे देखाय।

चमचम कुरता पहिरकै,माइक पर चिल्लाय।
निज बातन के जाल मा, तुमका रहे फ़ँसाय।

वोट मिले केहि जतन से,फंदा दें अस डार।
तड़पै फिरि तौ मछरिया, वह ना पावै पार।

खोलो आंखी अपन तुम, निज मन करो विचार।
वोट करो अब ध्यान से,फिर अच्छी हो सरकार।


 


  

Wednesday, April 9, 2014

हरि यहि जग में पगु धारें

















दशरथ के अब भाग्य जगे,
अपलक नेत्रन लोग निहारें।
अमरावति सों यह लागि रही,
यहि पर सगरी सृष्टि को वारें।
मातृत्व में भीजि रहा रनिवास,
दुंदिभि बाजै औ  ढोल नगारें।
नौमी तिथि मधुमास पुनीत,
हरि यहि जग में पगु धारें।

कोकिल कंठ सों गावैं जुबतीं,
ढोल औ झांझ बजाइ रही हैं।
कोना-कोना अब रनिवास के,
मिलिजुलि सबै सजाइ रही हैं।
द्वार पै  लटकति बंदनवार हैं,
सुषमा तो आज लजाइ रही हैं।
हुलसति जननी हैं सब मन में,
यहि पन सुत सुख जो पाइ रही हैं।   

Sunday, April 6, 2014

बासंतिक नवरात्रि 8
















नवरात्रि के नवें दिन माता के सिद्धिदात्री स्वरूप कि पूजा की
जाती है। ये माता अपने भक्तों को समस्त सिद्धियाँ प्रदान करने
वाली हैं. इनकी आराधना के बिना नवरात्रि का ब्रत पूर्ण नहीं
होता है। यह माता अपने भक्तों का हर प्रकार से कल्याण करती
हैं। इस दिन भक्त हवनादि करके नवरात्रि ब्रत को पूर्ण करते हैं.
माता प्रसन्न होकर समस्त संसार पर अपनी कृपा बनाये रखती
हैं।  जय माँ जगदम्बे !   

बासंतिक नवरात्रि 7












नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी की आराधना की जाती है यह 
माता सौभाग्य, सौन्दर्य, धनधान्य और पुष्टता को देने वाली है.
माता को जब शिव ने महा काली के रूप में देखा तो उनके इस 
रौद्र रूप को शांत करने के लिए आदिदेव ने उन पर गंगा जल 
छिड़क दिया जिससे वे पुनः कन्या रूप में परिवर्तित हो गयीं।
इस दिन कन्याओं को भोजन कराना अत्यंत पुण्यदायी माना 
गया है। विवाहिता स्त्रियों को माता के इस रूप कि आराधना 
करनी चाहिए। ये माँ अखण्ड सौभाग्य प्रदान करने वाली हैं। 
जय जगजननी माँ।   

बासंतिक नवरात्रि 6












नवरात्रि के सप्तम दिन माँ महाकाली की पूजा-अर्चना की जाती है.
भगवान शिव ने माता से कहा कि वे महाकाली के रूप को धारण
करें जो कि समस्त शक्तियों से पूर्ण हो. इस प्रकार माता ने काली
के रूप में दुष्टों का संहार किया और अपने भक्तों को अभय प्रदान
कर जगत का कल्याण किया। इस दिन भक्त मध्यरात्रि में माता
को प्रसन्न करने के लिए मन्त्र सिद्ध भी करते हैं।
जय महाकाली की।  

बासंतिक नवरात्रि 5












नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी की आराधना की जाती है।
ऋषि कात्यायन ने माँ से वरदान माँगा कि माँ स्वयं उनकी पुत्री
के रूप में जन्म लें, जिसे माता ने इस स्वरूप में ऋषि की मनोकामना
पूर्ण की और उनकी पुत्री बनकर माँ कात्यायनी के नाम से प्रसिद्ध
हुईं। माता भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली हैं.
जय माता की। 

Thursday, April 3, 2014

बासंतिक नवरात्रि 4















आज नवरात्रि का पांचवाँ दिन है। इस दिन स्कंदमाता की
पूजा-अचर्ना की जाती है. यह माता सनत्कुमार को अपनी
गोद में लिए हुए हैं इनके दोनों हाथों में कमल पुष्प सुशोभित
हैं। यह मातृत्व और नारी शक्ति का प्रतीक मानी जाती हैं।
इनका ही शिव जी से विवाह हुआ। तदुपरांत कार्तिकेय का
जन्म हुआ।  गणेश जी इनके मानस पुत्र हैं। माता सभी का
मातृत्व भाव से कल्याण करे।   {क्रमशः} 

Wednesday, April 2, 2014

बासंतिक नवरात्रि 3














आज नवरात्रि का चौथा दिन है। इस दिन माता कूष्माण्डा की
पूजा -अर्चना की जाती है। माता के इस स्वरूप को उदर की
देवी भी कहा जाता है। माता के इस रूप  ने स्रष्टि के संवर्धन का
कार्य किया। इनके द्वारा ही प्रकृति में शाक-भाजी, अन्नादि की
उत्पति होती है मन अपने भक्तों को अन्नादि से परिपूर्ण करती
है। इसलिए माता को अन्नपूर्णा भी कहा जाता है। माँ सभी पर अपनी कृपा द्रष्टि बनाये रखे।
निम्न मन्त्र से माता कि आराधना करें -

या देवी सर्वभूतेषु तुष्टि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै। नमस्तस्यै। नमस्तस्यै नमो नमः।

Tuesday, April 1, 2014

बासन्तिक नवरात्रि 2



 आज माता के तीसरे स्वरूप माँ चन्द्रघंटा की स्तुति की
जाती है। माता के बाएं हाथ में कमण्डल तथा दाहिने हाथ
में जप माला सुशोभित है।  यह माँ ज्ञान- ध्यान की देवी
है। जो अपने भक्तों का सब प्रकार से कल्याण करती हैं।
माता की आप सब पर सदैव कृपा बनी रहे।

ज्ञान-ध्यान की माँ जगदम्बे, महिमा अगम अपार।
अपनी किरपा उन पर करना, जो आये तेरे द्वार।

क्रमशः


बासंतिक नवरात्रि 1

















बासंतिक नवरात्रि की सभी को कोटि-कोटि बधाई -
माँ भगवती आपके जीवन को खुशियों और तमाम
शक्तियों से परिपूर्ण करे. उनका इतना आशीष आपको
मिले कि आपकी अंजलि छोटी पड़ जाय।
आज नवरात्रि का दूसरा दिन है इस दिन माँ भगवती के
बर्ह्मचारिणी स्वरूप की  आराधना कि जाती है. जैसा कि
'दुर्गासप्तशती' में उल्लिखित है -

प्रथमं शैलपुत्री द्वितीयं बर्ह्मचारिणी
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम
पंचमं स्कंधमातेति षष्ट्म कात्यायनीति
सप्तम् कालरात्रीति महा गौरीति अष्टमम
नवमं सिधिदात्री च नव दुर्गा प्रकीर्तिताः।।

इस प्रकार देवी के नव रूपों कि आराधना की जाती है
आज आप माता के बर्ह्मचारिणी स्वरूप की पूजा
कीजिए। माँ आपकी मनोकामना पूर्ण करे।
क्रमशः