Rajesh Shukla Chhandak
Monday, April 14, 2014
।।जय-जय श्री हनुमान।।
वानर कुल में जन्म लियो तुम,
केशरि के तब भाग्य सँवारे।
बाल समय फल रूप समझिकै,
दिनकर को तुम मुख में धारे।
कौतुक में ही हे प्रभु आपने ,
दुष्टन के फिरि सीस उपारे।
सिय की खोज में हे महावीर ,
बहुतन पै किरपा तुम करि डारे।
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