Monday, April 14, 2014

।।जय-जय श्री हनुमान।।

















वानर कुल में जन्म लियो तुम,
केशरि के तब  भाग्य सँवारे।
बाल समय फल रूप समझिकै,
दिनकर को तुम मुख  में धारे।
कौतुक  में ही  हे प्रभु  आपने ,
दुष्टन के   फिरि  सीस   उपारे।
सिय की खोज में   हे महावीर ,
बहुतन पै किरपा तुम करि डारे।   

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