Friday, June 27, 2014

मेरा मोबाइल नंबर




नौ ग्रह इस ब्रह्माण्ड में, एक ब्रह्म अविकारी।
नौ दुर्गा हैं जग-जननी, अष्ट भुजा की धारी।
शून्य, शून्य में खोकर ऋषि, करते उसका ध्यान।
तीन लोक ब्रह्माण्ड में दिखते, छः दोषों का ना भान।
कह 'छंदक' कविराय, पांच तत्वों से रचा शरीर।
सप्त ऋषी रह गगन में, हरते सबकी भवबाधा-पीर।।




   

1 comment:

  1. Very nice calculative poem & how much important mobile in this time. I like it.

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