सुख, वैभव से अब कोई मतलब नहीं।
नाते-रिश्तों से मीरा को मतलब नहीं।
प्याला विष का पिया ख़ुशी से इसलिए,
श्याम संग हैं तो दुनिया से मतलब नहीं।।
रूप राधा के जैसा है उसने धरा।
प्रेम उससे भी दुगना है उसमें भरा।
राधा के प्रेम से मेरा कम तो नहीं,
भक्ति का अनवरत सिंधु उसने भरा।।
राग वीणा पर अब वो गाने चली।
बनके जोगिन अब इस बहाने चली।
प्रेम पूरित नयन और भक्ती सहित ,
श्याम अपने को अब वो मनाने चली।।
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