Sunday, March 5, 2017

मौत का दरवाज़ा

साइबेरिया में याना नदी की तलहटी के पास जंगलों में ज़मीन में एक गड्ढा है. इसे बाटागिका क्रेटर के नाम से लोग जानते हैं. यह गड्ढा बहुत विशाल है.

यह क़रीब एक किलोमीटर लंबा, 85 मीटर चौड़ा और 282 फुट गहरा है. वैसे यह आंकड़ा शीघ्र परिवर्तित भी हो सकता है क्योंकि यह बहुत शीघ्रता से बढ़ रहा है.
कुछ यहां रहने वाले लोग इसके पास जाने से कतराते  हैं. वो इसे नर्क का दरवाजा कहते हैं. लेकिन वैज्ञानिक इसे अतीत में जाने की खिड़की बता रहे हैं. यहां पृथ्वी के दो लाख वर्षों का विशाल इतिहास नज़र आता है.
किसी विशालकाय जानवर की तरह इसका सिर ही सर्वप्रथम दिखायी देता है. बाटागिका क्रेटर एक नाटकीय अंदाज़ में सामने आया है.

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माना जा रहा है कि यह गड्ढा वहां स्थाई रूप से जमी हुई बर्फ़ के पिघलने के बाद नज़र आना आरम्भ हुआ.

जर्मनी के अल्फ़्रेड वेग़नर इंस्टीट्यूट के फ़्रैंक गुंटर और उनके साथियों के अध्ययन के मुताबिक़ इस गड्ढे की दीवार हर साल औसतन 10 मीटर विशालकाय तरीके से फैल रही है. लेकिन जिस साल आसपास का तापमान बहुत अधिक बढ़ा होता है, उस साल यह 30 मीटर तक बढ़ जाती है.

गुंटर और उनके साथियों ने इस स्थान का क़रीब एक दशक तक अध्ययन किया है.
यह गड्ढा एक ही समय में भूत, भविष्य और वर्तमान के बारे में जानने की इच्छा जाग्रत कर देता है.

यहां नज़र आई गाद के परतों से यह पता चलता है कि दो लाख साल पहले इस इलाक़े का वातावरण कैसा था. पेड़ों के अवशेष, पराग और जानवरों के मृत अवशेषों से पता चलता है कि एक समय यह इलाका एक घना जंगल रहा होगा.

यहां की भूगर्भीय जानकारी हमें यह समझने में मदद कर सकती है कि भविष्य में यह इलाक़ा ग्लोबल वॉर्मिंग को किस रूप में आंकलित करेगा.
इस गड्ढे में हो रहा विकास इस बात का संकेत है कि स्थाई रूप से जमी हुई बर्फ़ पर जलवायु परिवर्तन का कितना सीधा अस़र पड़ रहा है.

इंग्लैंड के ससेक्स विश्वविद्यालय के प्रेमाफ़्रोस्ट साइंस के प्रोफ़ेसर जुलियन मुर्टन कहते हैं, ''इस गड्ढे के सामने आने की प्रक्रिया की शुरुआत 1960 के दशक में हुई.''
इस इलाक़े में बड़े पैमाने पर जंगलों का कटान हुआ. इसका मतलब यह हुआ कि गर्मी के दिनों में इस इलाक़े में पेड़ों की छाया नहीं रही.

सूर्य के प्रकाश ने पेड़-पौधों की ग़ैर मौज़ूदगी में इस इलाके को अत्यधिक गर्म कर दिया था.

मुर्टन कहते हैं, ''कम छाया और नमी के इस गठजोड़ ने सतह पर गर्मी बढ़ाने में मदद की.''

जमी हुई ज़मीन के पिघलने से हमें यहां भविष्य में केवल गड्ढे ही नहीं बल्कि झरने और झीलें भी दिखाई देने का अनुमान है.

वैज्ञानिक अभी भी गाद का परीछ्ण कर इस गड्ढे के बनने के समयचक्र के बारे में पता लगा रहे हैं. यह पता करना इसलिए भी आवश्यक है कि साइबेरिया का जलवायु इतिहास अभी भी एक रहस्य बना हुआ है.
भूतकाल में हुए जलवायु परिवर्तन का पुनर्निर्माण कर वैज्ञानिक भविष्य में होने वाले उसी तरह के परिवर्तन की आशंका जता रहे हैं. जो कि मानव जीवन के लिए विनाशकारी रूप ले सकता है.

(आभार बी बी सी)

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