Sunday, March 19, 2017

मन अाइ गयो वृन्दावन होरी में.

होली के रंग महोत्सव के समापन पर पुन:
इस रंगोत्सव की शुभ कामनाएं. अवध और
ब्रज मण्डल में होली का पर्व एक सप्ताह तक
मनाया जाता है. इसलिए समापन पर विशेष-


मन अाइ गयो वृन्दावन होरी में.
मन यहीं बसो वृन्दावन होरी में.

सब पुष्प-लता मुसकाय रहे हैं.
सब मिलिकै गले लगाय रहे हैं.
अब लागि रहे मन भावन होरी में...

सब नर- नारी मुख दिखैं रंगे.
सब लागि रहे हिय प्रेम पगे.
मन घंटी बाजैं घनन-घनन होरी में...

अब चहुं दिसि सर-सर रंग चलै.
अब सबके मुख हाथन रंग मलैं.
है बरसि रहा रंग ज्यों सावन होरी में...

अब ढोलक, मिरदंग है बाजि रही.
अब गोरी थापों पर मिलि नाचि रही.
झांझ बजै अब झनन-झनन होरी में...

अब चहुं ओर रंग की धार दिखै.
ऊपर से लाठिन की मार दिखै.
सब भाजि छिपैं घर औ कानन होरी में...

नर यहां सबै तो श्याम दिखैं.
सबके उर में घनश्याम दिखैं.
अब नारिन में राधा दिखें पावन होरी में...

- राजेश शुक्ला छन्दक





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