Wednesday, March 1, 2017

अवढर दानी हर हर महादेव



महाशिवरात्री के पावन पर्व पर

मैं ही विधाता की सृष्टिहूँ
मैं ही सावन में वृष्टि हूँ
मैं साम दाम में दण्ड हूँ
मैं ही मानव का घमण्डहूँ
मैं ही सुदंरता की सूरत हूँ
मैं ही ममता की मूरत हूँ
मैं ही काल का कपाल हूँ
मैं ही सागर विकराल हूँ
मैं दिवा की धूप छांव हूँ
मैं बचपन के नन्हें पांव हूँ
मैं ही जीवों का प्राण हूँ
मैं हिमगिरि का पाषाण हूँ
मैं ही नदियों का पानी हूँ
मैं धरती की चूनर धानी हूँ
मैं बच्चे की किलकारी हूँ
मैं फूलों की फुलवारी हूँ
मैं गंगा की अविरल धार हूँ
इसीलिए तो मैं ओंकार हूँ .

ओंम् नम: शिवाय ¡

राजेश शुक्ला छन्दक
९३६९९९६३५९

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