Rajesh Shukla Chhandak
Wednesday, July 30, 2014
ईद मुबारक़ !
जब मज़हबों की खाई पटे तो ईद हो जाये।
जब बैर की कालिख हटे तो ईद हो जाये।
जब आपसी रिश्ते सलामती की दुआ करें,
फिर दिल से दिल हँसके मिले ईद हो जाये।।
ईद मुबारक़ !
1 comment:
Unknown
July 30, 2014 at 3:35 AM
Chhota par sunder lekh.
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Chhota par sunder lekh.
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