Thursday, July 10, 2014

अपने दिल में...






















नाम माला जपे हाथ उनकी ,
जन-जन को ये सिखाये हुए हैं।
यादें उनकी बनाके धरोहर ,
अपने दिल में सजाये हुए हैं।।

हाथ जब भी उठा माँ के ऊपर,
सैलाब बनकर वो आगे बढ़े हैं।
कोई छाया को भी छू न पाए,
इसलिए हंसके फांसी चढ़े हैं।
वक़्त की आँधियाँ जब भी आती,
वे हिचकियाँ बनके आए हुए हैं।।
यादें उनकी बनाके धरोहर ,
अपने दिल में सजाये हुए हैं।

भगत, आज़ाद के पौरुष बल का,
उन गोरे अफसरों ने लोहा था माना।
जो गरजते थे अश्फाक - बिस्मिल,
उबलते शोणित को उनके था जाना।
उनकी सूरत की रच करके मूरत,
अपने मन में बसाये हुए हैं।।
यादें उनकी बनाके धरोहर ,
अपने दिल में सजाये हुए हैं।

बहसीपन औ आतंकी दहसत,
बंद होता नहीं ये सिलसिला है।
भारत का प्यारा हर देशवासी,
मन ही मन में रहा बिलबिला है।
मन्सूबे सच हो उनके  कभी ना,
बारूद सीने में छिपाए हुए हैं।।
यादें उनकी बनाके धरोहर ,
अपने दिल में सजाये हुए हैं।
 

 

2 comments:

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  2. Kyon bane hain aise swatantrta senani, jise log abtak nahi jan paye huye hain. Kyon nahi aap khudko Mahatma Gandhi Banaye huye hain.

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