धन्य है वह जननी, जिसने एक ऐसे शिशु को जन्म दिया।
उसने एक छोटे से गांव बदरका, उन्नाव में जन्म लेकर
अपने तिवारी वंश के साथ -साथ, अपने देश को स्वाधीन
कराने के लिए अपनी आहुति दे दी। पंडित चंद्रशेखर तिवारी
'आजाद' का यह देश सदैव ऋणी रहेगा। उनकी जयंती पर
शत-शत नमन।
पीठ पर कोड़ों को सह जो आजाद रहा।
गोरे तिलमिलाते रहे वो आजाद रहा ।
उसकी छाया भी न छू पाये वो जीते जी,
अपनी गोली खा के वह आजाद रहा।।
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