Friday, July 4, 2014

एंकर





एंकर किसी कार्यक्रम की जान होता है।
वह प्रतिभागी के लिए महान होता है।
वह लफ़्जों से उतारता है चाँद-तारे भी,
इसलिए वह कार्यक्रम का भगवान होता है।।

वह फीके भोजन में अचार की चटकार है।
तपते रेगिस्तान पर एक ठंडी फुहार है।
इतिहास के भी परखच्चे उड़ा सकता है वो,
वह इस रण बांकुरों की तीख़ी तलवार है।।

वह शान्त तबले की थाप बन जाता है।
वह अनबुझी पहेली की बात बन जाता है।
लहरें समन्दर की कर सकेंगी उसका क्या,
वह डूबती कश्ती की पतवार बन जाता है।।  

1 comment:

  1. Kavita padhte samay ek kavi bhi mehfil ki shaan hota hai. I like it.

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