साहित्य के आँगन में अपनी अमिट छाप
छोड़ने वाले साहित्यकार खुशवन्त सिंह जी
अब हमारे बीच नहीं रहे। उनको मेरी ओर
से भावभीनी श्रद्धांजलि। उनके सम्मान में
कुछ पंक्तियाँ प्रेषित -
सन्ता- बन्ता की व्यथा,अब तो हुए अनाथ।
बगिया के माली सुनो, छोड़ि गए अब साथ।
छोड़ि गए अब साथ, सुन खुशवंता भाई
आँगन यहु साहित्य का,सूना परति दिखाई।
छोड़ने वाले साहित्यकार खुशवन्त सिंह जी
अब हमारे बीच नहीं रहे। उनको मेरी ओर
से भावभीनी श्रद्धांजलि। उनके सम्मान में
कुछ पंक्तियाँ प्रेषित -
सन्ता- बन्ता की व्यथा,अब तो हुए अनाथ।
बगिया के माली सुनो, छोड़ि गए अब साथ।
छोड़ि गए अब साथ, सुन खुशवंता भाई
आँगन यहु साहित्य का,सूना परति दिखाई।
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