Thursday, March 20, 2014

गौरैया दिवस पर विशेष

सूना अब आँगन रहै, फुदकति दिखै न कोइ
चूँ-चूँ-चूँ आवाज़ वह, लागति कहूँ गै  खोइ।
लागति कहूँ गै खोइ,नजरि वह अब ना आवै
अब मैया को ललना, केहिका पकरै को धावै।

फुर्र उड़नि,चूं-चूं कहनि, थलकुर नहीं देखाय
मुंह फैलाये लोदरवा, लागति गये  बिलाय।
लागति गये  बिलाय, दिखें अब कहूं न भाई
गौरैया कै फोटो अब, पन्नन मा देखी जाई

अबही भैया समय है, हाथन सरकि न जाय
यदा- कदा जो दिखतिहै,इनका लेउ बचाय।
इनका लेउ बचाय, आँगन ना सूना होइहै
गौरैया जो चुगि जाय,अनंधन दूना होइहै।



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