अंग आँचल से अपने छिपाने लगी।
हाथ दोनों से मुँह को बचाने लगी।
गाल पर लाल रंग जब लगा प्यार का,
पलकें नीची कर बहुत वो लजाने लगी।
लाल तन ये हुआ, लाल मन भी हुआ।
लाल रंग से फिर लाल जोबन हुआ।
प्यार का रंग जब फिर बरसने लगा,
लाल ये सब धरा लाल अम्बर हुआ।
हाथ दोनों से मुँह को बचाने लगी।
गाल पर लाल रंग जब लगा प्यार का,
पलकें नीची कर बहुत वो लजाने लगी।
लाल तन ये हुआ, लाल मन भी हुआ।
लाल रंग से फिर लाल जोबन हुआ।
प्यार का रंग जब फिर बरसने लगा,
लाल ये सब धरा लाल अम्बर हुआ।
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