Friday, March 7, 2014

कवित्त

नैन-नैन तू करति है, नैन बसें तेहिं पास।
औरन को तू लखि सके,निज पर होइ उदास।
निज पर होइ उदास, मुकुर तब पासै आवै।
गहराई निज नैन की, फिरि दरस करावै।


 

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