बैठ किनारे उइ जबै, दिखा फूल एक लाल
तुरतै पकरिन यार फिर, भैया रामकृपाल
लखनऊ देखिस राह बहु,दिखा न कोऊ साथ
राज आस मन में लिए, आए अब तौ नाथ
दिक्क़त टंडन की सुनौ, ध्यान दीन ना कोइ
बनी बनाई राजि तौ , लागति अब गइ धोइ
तुरतै पकरिन यार फिर, भैया रामकृपाल
लखनऊ देखिस राह बहु,दिखा न कोऊ साथ
राज आस मन में लिए, आए अब तौ नाथ
दिक्क़त टंडन की सुनौ, ध्यान दीन ना कोइ
बनी बनाई राजि तौ , लागति अब गइ धोइ
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