Sunday, March 9, 2014

कवित्त

मॉस्क खरीदै को सुनो, नेता गये बाजार।
भोला चेहरा जब मिला,खुश बहुतै भे यार
खुश बहुतै भे यार,असली ना अब परी दिखाई।
यह तौ भोली बहुत, कस समझी चतुराई।

धड़-धड़,धड़-धड़ चलि रहे,माइक पर अब बान
उनकी बातन को सुनो, जनता ना  दे ध्यान।
जनता ना  दे ध्यान, नेता मीठी बातें मारें ।
अब ढीली हुई कमान, मूड कई बार उखारें।





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