Sunday, May 4, 2014

तूने मारी एंट्रियां

















पारा गर्मी का चढ़ा, नाहीं चलत बयार।
अइसे मा पत्नी सुनौ,गावै राग मल्हार।
गावै राग मल्हार, पाँव अब थिर ना होवै।
जब हैं खड़े कगार,उज्वला का कस ढोवै।
मजबूरी मा ही सुनौ, दिल चिहुँकति है यार।
बहुतै गाढ़ा होति है, यहु अस्सी का प्यार।।

तिवारी जी हँसिकै बोले-
तूने मारी एंट्रियां,
तो दिल में बजी घंटियाँ-
टन-टन,टन-टन।  

1 comment:

  1. Ye assi ke pyar me jassi dhude, Inme kitni garmi hai yaar. Jang lag gaya hoga ghanti me, phir bhi bajti jay. I like it.

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