अपने सब अपने कहैं, मन बहुतै खुश होय।
घाव करैं जब सगे तो, औषधि दिखे न कोय।।
अपनो जीवन हवन करि, सुत को पालै मातु।
जस देखी सारंग नवल, बिसरि गयी तब मातु।।
पूजा, ब्रत सब करि रहे, दीनन को दें दान।
मातु-पिता सेवैं नहीं, जिनते उनको मान।।
पश्चिम के संग चलै में, जर भूलें सब कोय।
हाथ न आवै वहि दिशा, भानु भी डूबा होय।।
सब भाषा सुन्दर गुणी, करो सबका सम्मान।
निज भाषा भूलो नहीं, जिससे देश की शान।।
घाव करैं जब सगे तो, औषधि दिखे न कोय।।
अपनो जीवन हवन करि, सुत को पालै मातु।
जस देखी सारंग नवल, बिसरि गयी तब मातु।।
पूजा, ब्रत सब करि रहे, दीनन को दें दान।
मातु-पिता सेवैं नहीं, जिनते उनको मान।।
पश्चिम के संग चलै में, जर भूलें सब कोय।
हाथ न आवै वहि दिशा, भानु भी डूबा होय।।
सब भाषा सुन्दर गुणी, करो सबका सम्मान।
निज भाषा भूलो नहीं, जिससे देश की शान।।