Thursday, February 27, 2014

बम-बम भोले

कांधे कांवर को लेकर कंवरिया चले
बाबा भोले से मिलने बवरिया चले
पाँव थकते नहीं मन में विस्वास है
गंगा जल को चढाने कंवरिया चले

श्रद्धा, भक्ती चहूँ दिसि दिखाई पड़े
बम-बम भोले चहूँ दिसि सुनाई पड़े
भक्त भगवान का ये अनूठा मिलन
भक्ति विगृह के सम्मुख दिखाई पड़े

सखियाँ गौरा को मिलकर सजाने लगीं
बात कानों में गुपचुप बताने लगीं
शिव जी दूल्हा बने अब खड़े सामने
प्रीति की रीति सखियाँ सिखाने लगीं





Wednesday, February 26, 2014

नदी आ गई

तन में इक प्यास है मन में इक आस है
बात कहनी है उनसे जो कुछ ख़ास है
रुन-झुन कानों में जैसे घुलने लगी
अब तो मिलने का उनसे विस्वास है

खारे सागर से मिलने नदी आ गई
प्रीत पावन को करने नदी आ गई
दर्द, एहसास, उल्लास मन में लिए
खारे को मीठा करने नदी आ गई


जलता दिया

मैं भी एैसे जला जैसे जलता दिया
उम्र भर वो रटे ओ पिया ओ पिया
स्वाती इतना बेरहम क्यों हो गया
पास आया न, जो उसके खातिर जिया 

Tuesday, February 25, 2014

दोहामृत

धरती अब तो सजि गई, आइ गयो मधुमास
प्रेमी निकसे मांद से, रटैं पिआस -पिआस

धरती अब तो लगि रही, ज्यों गोरी सी होइ
अंगड़ाई भरि- भरि रहै, नींद से जागी होइ

गौरा शिव की संगिनी,सबका  वह आधार
प्रेम रूप कि रागिनी, कस ज्ञानी पावैं पार

गौरा पीसें भांग को, शिव ठाढ़े मुसकाय
अन्नपूर्णा तुम बनी, अब तो देउ पिआय



दोहामृत

नैन बान से जो बचे, जोगी सिद्ध कहाय
बान लगै जो हिये में, तो भोगी होइ जाय

नारी की सारी पकरि, जो मग बढ़ता जाय
बुद्धिमान की नजरि में, वहु मेहरा कहलाय

नारी-नर कि ढाल बनि, खड़ी रहै दिन-राति
लेकिन कुछ मनई सुनो, दिखते दुसरी पांति

नारी सरिता सम सुनो, राह चलै लहराय
घाव किनारे पर करै, सागर में मिलि जाय




Tuesday, February 18, 2014

मधुमास हो जायेगा

पास आओ हमारे जो तुम हे प्रिये
फिर वो दिन कुछ खास हो जायेगा
सतरंगी चूनर जो ओढ़ो तुम हे प्रिये
फिर धरा पर मधुमास हो जायेगा

हीर तुम जो बनो राँझा बन जाऊं मैं
पीर तुम जो बनो फकीर बन जाऊं मैं
सजदा करके तुम्हारे दर पर प्रिये
ये अजनबी भी कुछ पास हो जायेगा

तुम जो पुरवा पवन कि रवानी बनो
प्यार मेरे कि तुम इक कहानी बनो
गीत फिर तो मिलन के सुनो हे प्रिये
लिखते -लिखते अभ्यास हो जायेगा

तुम जो गोपी बनो उस बृजधाम की
पूजा मैं भी करूं राधा के नाम की
कुंज गलियों में जो तुम मिलो हे प्रिये
ये दीवाना तेरा दास हो जायेगा

सतरंगी चूनर जो ओढ़ो तुम हे प्रिये
फिर धरा पर मधुमास हो जायेगा




Thursday, February 13, 2014

गरिमा

आज तो संसद दुनिया में शर्मसार हुई
जब आपस में सांसदों के सुनो मार हुई

स्प्रे कालीमिर्च का आँखों पर दें मार
संसद की गरिमा तभी हो गई तारों तार   

वेलंटाइन

लड्डू वेलंटाइन का, सबके मन को भाय
ज्वानो की तो मौज है, बुढ़ऊ दौरें खाय

पत्नी गठिया ते सुनो, हाय राम चिल्लाय
वेलंटाइन के जोग में, उइ लार रहे टपकाय

पारा यहि दिन मा सुनो, चोटी पर चढ़ि जाय
बैठें उइ घर में दुबकि, जब घरवाली गुर्राय  

Tuesday, February 4, 2014

जग में एक सहारा तेरा

जग में एक सहारा तेरा
श्रुति ललाम दर्शाती आजा
मंद -मंद मुस्काती आजा
नवरस धार बहाती आजा
वीणा पर कुछ गाती आजा
डाल हृदय में डेरा
जग में एक सहारा तेरा


Sunday, February 2, 2014

धरती बन गई नारि नवेली

प्रातहि धरती सुखधाम लगै
जनु नींद से जागी नारि नवेली
चटकी कलियाँ गुंजाय मधुप
अंगड़ाई भरैं तरु नारि नवेली
ओस की बूँद तो मोती लगें अब
जनु थाल भरे हैं आई सहेली
रितुराज के स्वागत में अब तो
सजि धरती बन गई नारि नवेली