मन अपने बहुत गुमान भरे,
गर्जन मुँह फारि करै बदरा.
जनु सेन सजाइ के राजा सों,
रन बीच में आइ भिरै बदरा.
जो खींचै म्यानते असि चपला,
चिंघरै, तड़पै औ बरसै बदरा.
परदेस बसैं हमरे तौ सजन,
हिय टीस उठै औ जरै बदरा.
जिउ तोर तौ पाहन अस लागै,
हिय मोरि कसक न लखै बदरा.
निज काज ते तुम लागति ऊबे,
अब काज तौ मोर करौ बदरा.
हलकान भयी जिउ हूक उठै,
तन सूखि कै कांट भयो बदरा.
मोबाइल लागति नहिं उनको,
हिय प्रीति को पानी भरौ बदरा.
बूंदन बान लगैं हिय पर,
अब बेधि रहीं सगरो बदरा.
बरिआई न तुमसों है कोऊ,
फिरि काहे कलेस तू दे बदरा.
काज दियो तुमको इक छोट,
वोहू न तुमसों सपरो बदरा.
सांस -उसांस तौ मोरी भई,
पिय बिन को रोग हरै बदरा.
- छन्दक
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