Tuesday, December 16, 2014

दोहे

नेता ऐसा चाहिए जनता का दे ध्यान।
नित ऐसे कारज करे बढे मान सम्मान।।

मनसा-वाचा-कर्मणा से हो निष्ठावान।
जनता उसको पूजती जैसे हो भगवान।।

लोकतंत्र के समय में नेता दयानिधान।
द्रष्टी रुके बबूल पर बन जाए धनवान।।

शिछा मंत्री बन गए देते भाषण तान।
शारद उनसे दूर है लछमी वाहन जान।।

    

 

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