डायरी के पन्ने अब कहने लगे।
आँख से उनके आंसू बहने लगे।
जनवरी में मैं फीते से लिपटा मिला,
देखते ही मुझको चेहरा उसका खिला।
खोला मुझको तो अरमान जगने लगे।।
आँख से उनके आंसू बहने लगे।
नर्म हांथो से उसने मुझको छुआ ,
जैसे चेहरा है पढता कोई दुआ।
आँखों में ख्वाब फिर झिलमिलाने लगे।।
आँख से उनके आंसू बहने लगे।
दर्द निकलने का फिर मैं सहारा बना ,
तीन सौ पैंसढ़ दिनों का पहाड़ा बना।
इकतीस दिसम्बर को उनसे मिलने लगे।।
आँख से उनके आंसू बहने लगे।
नववर्ष की भोर हो मुबारक तुम्हें ,
स्वर्णिम जीवन की आभा मुबारक तुम्हें।
मन में कविता कोई फिर से पलने लगे।।
आँख से उनके आंसू बहने लगे।
नववर्ष की सभी बन्धुओं को हार्दिक बधाई !