Rajesh Shukla Chhandak
Wednesday, February 18, 2015
छन्द
जो आतप, शीत सहै निशि-वासर
वह शक्ती माँ में ही हो सकती है.
जो कष्टन में निज को राखि सकै
वह छमता माँ में ही हो सकती है.
जो लाल की ढाल सदा ही बनै,
वह दृढ़ता माँ में ही हो सकती है.
जो पग वार सहै निज छाती पर,
वह ममता माँ में ही हो सकती है.
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