Tuesday, January 20, 2015

झकझोर रहा पछुआ अब तो,
दाँत सितार बजावति हैं।
चीरि करेजा रहा अब शीत ,
यहु आपन रूप दिखावति है

 

Friday, January 16, 2015

छंद

बालक, वृद्ध, युवा, सारंग
इन पर असर देखाय रहा है।
कोहिरा-पाला गण यहिके,
उनका अब अजमाय रहा है।
हांडन बीच घुसति पछुआ ,
भीतर ते यार हिलाय रहा है।
निर्दयी बहुत यहु शीत भवा,
कसाई अस गला दबाय रहा है।